विक्रान्त भैरव स्तुति

Vikrant Bhairav temple situated at Mahakal ki Nagri Ujjain madhya Pradesh.

9/2/20251 min read

ॐ विक्रान्ताय महाभैरवाय नमः ॥

त्वं मे त्राता दुःखसिन्धोः पारे,
त्वं मे शान्तिर्भवरोगहरः।
त्वं मे शुद्धिर्मनसः प्रकाशः,
त्वं मे जीवनस्य परमः प्रकाशः॥ १ ॥

उज्जयिन्यां स्थित विक्रान्तनाथ,
भक्तानां हृदि वस त्वं सदा।
मम मनःपद्मे सदा विराजस्व,
मम नम्रभक्तस्य सर्वारिष्टानि हर॥ २ ॥

भक्तेः सारं त्वयि सम्प्रदत्तं,
श्वासोऽपि मम नाथ त्वया दत्तः।
त्वत्पादाम्भोजे मम प्राणवृत्तिः,
त्वद्भक्तिर्मे भवतु नित्यनिष्ठा॥ ३ ॥

त्रैलोक्यनाथ विक्रान्तेश,
भयभीतार्तजनार्तिनाशिन्!
करुणासिन्धो, कृपया प्रसीद,
मे दुःखच्छेदनं कुरु शीघ्रं॥ ४ ॥

विक्रान्त भैरव स्तुति (साथ में हिन्दी भावार्थ)

ॐ विक्रान्ताय महाभैरवाय नमः ॥

हे पराक्रमी महाभैरव, आपको नमस्कार।

त्वं मे त्राता दुःखसिन्धोः पारे,

आप ही मेरे दुःख-सागर से पार लगाने वाले रक्षक हैं।

त्वं मे शान्तिर्भवरोगहरः।

आप ही मेरे जीवन के रोग और बन्धनों को हरने वाले शान्तिदाता हैं।

त्वं मे शुद्धिर्मनसः प्रकाशः,

आप ही मेरे मन को शुद्ध करने वाले और उसमें प्रकाश भरने वाले हैं।

त्वं मे जीवनस्य परमः प्रकाशः॥ १ ॥

आप ही मेरे जीवन के परम आलोक और मार्गदर्शक हैं।

उज्जयिन्यां स्थित विक्रान्तनाथ,

उज्जैन में स्थित हे विक्रान्तनाथ!

भक्तानां हृदि वस त्वं सदा।

आप सदा भक्तों के हृदय में निवास करें।

मम मनःपद्मे सदा विराजस्व,

मेरे मन के कमल में सदा विराजमान रहें।

मम नम्रभक्तस्य सर्वारिष्टानि हर॥ २ ॥

अपने नम्र भक्त के सभी संकटों का नाश करें।

भक्तेः सारं त्वयि सम्प्रदत्तं,

मेरी सारी भक्ति आपको अर्पित है।

श्वासोऽपि मम नाथ त्वया दत्तः।

हे नाथ! मेरा हर श्वास भी आपके ही द्वारा दिया गया है।

त्वत्पादाम्भोजे मम प्राणवृत्तिः,

मेरे प्राणों की गति आपके चरण कमलों में ही है।

त्वद्भक्तिर्मे भवतु नित्यनिष्ठा॥ ३ ॥

आपकी भक्ति में मेरी निष्ठा सदा अटूट बनी रहे।

त्रैलोक्यनाथ विक्रान्तेश,

हे त्रैलोक्य के स्वामी विक्रान्तेश!

भयभीतार्तजनार्तिनाशिन्!

भयभीत और पीड़ित जनों के दुःख का नाश करने वाले!

करुणासिन्धो, कृपया प्रसीद,

हे करुणा-सागर! कृपा करके प्रसन्न हों।

मे दुःखच्छेदनं कुरु शीघ्रं॥ ४ ॥

मेरे दुःखों का शीघ्र निवारण करें।